kanchan singla

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बाल दिवस

बालक हैं हम छोटे छोटे
छोटे हैं पर बड़े हैं खोटे
करते शरारत बड़ी बड़ी
जिनमें मासूमियत है भरी पड़ी ।।

मां के राज दुलारे हैं
पापा की जान से प्यारे हैं
दादी संग नए खेल रचाते हैं
दादू संग बाजार घूमने जाते हैं।।

खोल डब्बा तोड़ डब्बा 
सब सामान हमने इधर उधर बिखेरा है
चॉकलेट, आइसक्रीम के लालच ने हमको हर पल घेरा है 
बस्ता भर किताबों ने हमारे कंधो को तोड़ा है।।

रोज सुबह उठना 
दिन भर शरारत करना
खेल तमाशे देख कर बचपन ये गुजरा है
अब विद्यालय जाने का अवसर ये आया है
आज हमने विद्यालय में यह बाल दिवस मनाया है।।

- कंचन सिंगला
लेखनी प्रतियोगिता -14-Nov-2022




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8 Comments

Gunjan Kamal

16-Nov-2022 07:29 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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Punam verma

15-Nov-2022 08:32 AM

Very nice

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Abhinav ji

15-Nov-2022 08:05 AM

Very nice mam

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